बचपन में बाल भारती, चंपक और चंदामामा पढता था। पूजा दौरान नियमित हनुमान चालिसा के पाठ ने सामर्थ्य प्रदान किया। बडे हुए तो अखबार पढने लगे। पढ़ते पढ़ते लगा कि कुछ लिखा जा सकता है तो एक साप्ताहिक अखबार से हाथ आजमाया। बस लेखन का सिलसिला प्रारंभ हुआ तो कई दैनिक अखबारों और कादंबिनी जैसी मैगजीन ने भी हौसला अफजाई की। विदयालय छोड़ते ही सरकारी नौकरी में आ गया और बच्चों को पढ़ाने के साथ साथ लेखन भी सुधरा, तब सोचा चलो पञकारिता का औपचारिक अध्ययन हो जाए। इस अध्ययन के बाद तो एक ऐसा अवसर मिला कि तब से आज तक राजसेवक के रूप में ही पञकारिता जगत को सेवाएं दे रहा हूं। यह ब्लॉग आसपास की हलचलों, स्वान्त सुखाय सृजन और मन को शांति देने वाली वाणी को परोसने का माध्यम बस है।
waah...naari teri yahi kahani...mahila diwas par maine hi kuch likha hai...mere blog par aayenge to achha lagega
ReplyDeleteब्लाग पर आना सार्थक हुआ
ReplyDeleteकाबिलेतारीफ़ प्रस्तुति
आपको बधाई
सृजन चलता रहे
साधुवाद...पुनः साधुवाद
satguru-satykikhoj.blogspot.com
wahwa....
ReplyDeletenice, good.
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ReplyDeleteवाह आपका ब्लॉग पढ़कर बहोत ही प्रसन्नता हुई वाकई आपकी लिखवात में सत्यता हैं । साईबाबा करे आप और भी तरक्की करे यही शुभकामनाये
ReplyDeletegood one ..thanks for visiting my blog.
ReplyDeletebahoot achha laga
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